संपादकीय लेखन क्या है | संपादकीय लेखन का महत्व | संपादकीय लेखन की प्रक्रिया | Sampadkiya Lekhan Kya Hai | Sampadkiya Ki Paribhasha आदि जैसे शानदार टॉपिक के बारे में इस आर्टिकल में हिंदी में पूरा जानने वाले है।
हिंदी में कई तरह से आप कुछ ना कुछ लिखते है और हिंदी में कई लेखन के प्रकार होते है। उसी तरह लेखन का एक प्रकार संपादकीय भी है, तो अब आपको भी संपादकीय लेखन क्या है इसके बारे में बताते है।
आज के इस लेख में आपको संपादकीय लेखन से जुड़े अन्य जानकारी जैसे इसका महत्व, संपादकीय लेखन की प्रक्रिया और महत्व आदि के बारे में भी सारी इन्फॉर्मेशन दी जा रही है, अतः इस लेख को लास्ट तक पड़कर पूरा नॉलेज प्राप्त करें।
संपादकीय लेखन क्या है (Sampadkiya Lekhan Kya Hai)
अगर आप जानना चाहते हैं कि संपादकीय लेखन क्या है? – (Sampadkiya Lekhan Kya Hai) तो आपको अब ध्यान से पढ़ना चाहिए। संपादकीय लेखन कई सालों पुराना लेखन है, जिसके बिना अखबारों में हर लेख अधूरा माना जाता है।
संपादकीय लेखन में एक संपादक घटना और मुद्दों पर इस तरह से लिखते है कि पढ़ने वाले का ध्यान सारा लेख पर केन्द्रित हो जाए।
संपादकीय लेखन में एक संपादक को दिए गए लेख में पूरी लेखन सामग्री का ध्यान से अवलोकन करके उसे और भी बेहतर बनाना पड़ता है।
एक संपादकीय लेख में आप कई तरह के विषय पर लिख सकते है तथा एक संपादकीय व्याख्यात्मक, प्रेरक, रोचक, गंभीर आदि तरह में भी लिखा जा सकता है।
संपादकीय में वर्तमान समय के मुद्दों, सामाजिक घटनाओं आदि के बारे में संपादक लिख सकता है। इस तरह से एक संपादकीय का महत्व बहुत ज्यादा होता है।
संपादकीय किसे कहते हैं (Sampadkiya Kise Kahte Hai In Hindi)
संपादकीय लेखन में बहुत कुछ विशेषता होती है, एक संपादकीय की परिभाषा क्या होती है आइए जाने। अगर आपको सामान्य भाषा में बताएं तो संपादकीय लेखन संपादक के अपने विचार होते हैं।
आसान भाषा में बताएं तो एक संपादक अपनी नॉलेज की सहायता से पाठकों को आकर्षित करने वाले लेख लिखता है, इसे ही संपादकीय कहा जाता है।
संपादकीय लेखन में किसी अखबार की विशेषता, उनकी सोच आदि के बारे में व्याख्यान होता है। संपादकीय के लेखन में एक संपादक हमेशा अपने लेख में दोषों को दूर करता है।
एक अच्छे संपादकीय में कई गुण होते हैं और यह एक संपादक की जिम्मेदारी होती है। संपादकीय कई रोचक विषयों पर लिखा जा सकता है और संपादकीय लेखन से किसी भी लेख में जान डाली जा सकती है।
संपादकीय लेखन का महत्व क्या है (Sampadkiya Lekhan Ka Mahatva Kya Hai)
हर लेखन सामग्री का अपना अलग महत्व और उपयोग होता है, इस तरह संपादकीय लेखन का महत्व भी अलग और रुचि पूर्ण होता है।
निम्नलिखित बिंदुओं में संपादकीय लेखन के महत्व की जानकारी दी गई है, तो आइए इसके बारे में थोड़ा विस्तार में समझते हैं।
- संपादकीय लेखों में समकालीन विचारों को व्यक्त किया जाता हैं। संपादकीय लेखन समाज के कई हिस्सों को भी आकर्षित करता है।
- संपादकीय लेखन की संपादकीय पृष्ठों में उसकी अलग लगन दिखाई देती हैं। संपादकीय लेखन समाचार पत्रों की आत्मा है और समाचार पत्रों में संपादकीय पृष्ठ अनिवार्य माना जाता है।
- पाठकों को हर दिन एक अलग तरीके से संपादकीय लेखन सामग्री द्वारा उनको आकर्षित किया जाता है।
- संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित विचारों को संपादकीय लेखन द्वारा जल्दी से और प्रभावी रूप से पाठकों को समझाया जा सकता है।
- समाचार पत्र के विचारों और दृष्टिकोण में संपादकीय लेखन का गुण प्रतिलक्षित होता है।
- समाचार पत्र में स्पष्ट और निरंतर विचारों का समर्थन होने पर पाठक समाचार पत्र का सम्मान करता है, इसलिए संपादकीय लेखन का महत्व बढ़ता है।
- संपादकीय लेखों का विषय समाज के कई हिस्सों को लक्षित करके लिखा जाता है, इसलिए समाचार पत्रों में और अन्य जगहों पर संपादकीय लेखन शैली का ज्यादा उपयोग किया जाता है।
संपादकीय पृष्ठ क्या होता है (Sampadkiya Prishth Kya Hota Hai)
संपादकीय पृष्ठ समाचार पत्र का एक ऐसा पृष्ठ होता है, जिस पर कई घटनाओं और खबरों को रोचक रूप से लिखा जाता है। समाचार पत्र में या किसी पत्रिका में इस पृष्ठ को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
संपादकीय पृष्ठ में संपादक अपनी राय प्रदान करता है और हर लेख को जांच परख करके उसे सही से एडिट करके प्रकाशित करता है।
इस संपादकीय लेखन की विशेषता यह होती है कि इसमें छापी गई खबरों की शैली काफी रोचक और प्रभाव डालने वाली होती है। इसमें एक संपादक का दायित्व होता है कि वह इस पृष्ठ को हमेशा आकर्षक बनाए रखें।
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संपादकीय लेखन की प्रक्रिया (Sampadkiya Kaise Likha Jata Hai)
संपादकीय लेखन कैसे लिखा जाता है और संपादकीय लेखन की प्रक्रिया के बारे में अब सब जानकारी आपको मिल जाएगी, उसके बाद आप भी संपादकीय लिख सकते हैं।
- सबसे पहले तो संपादकीय लेखन के लिए आपको कोई अच्छा सा दिलचस्प विषय चुनना है।
- इसके बाद आपको उस विषय पर काफी शोध यानी कि रिसर्च करनी चाहिए और लेख को अच्छा बनाए ऐसा शोध करना है।
- आप किसी एक प्रमुख विषय या बिंदु पर ज्यादा फोकस कर सकते है ताकि आप लेख में उस बिंदु को पाठको को ज्यादा अच्छे से समझा सकें।
- एक बेहतर संपादकीय लेखन के लिए उसकी अच्छी रूपरेखा बनाई हुई होनी चाहिए और आपको अपने संपादकीय के प्रकार के आधार पर ही रूपरेखा चुननी है।
- इन सब के बाद आपको लेखन क्रिया शुरू कर देनी चाहिए और महत्वपूर्ण विषयों को ज्यादा समझाने की कोशिश करें।
- लेखन क्रिया पूरी होने के बाद आपको वापिस से लेख को चैक करना है यानी कि प्रूफरीडिंग करनी चाहिए।
- अपने संपादकीय लेख में कोई गलती ना रखें और ऐसा लिखे को पढ़ने वालों को अच्छे से और आसानी से लिखा जा सके।
अच्छे संपादकीय के क्या गुण होते है (Sampadkiya Lekhan Ki Visheshtayen)
एक अच्छे संपादकीय में कई अच्छे गुण होना आवश्यक होता है तथा इनकी वजह से ही एक अच्छा संपादकीय तैयार होता है।
एक संपादकीय की विशेषताएं क्या होनी चाहिए, इसके बारे में जानकारी इन निम्नलिखित बिंदुओं में प्रदान की जाने वाली है।
- एक अच्छे संपादकीय में एक अच्छे पैटर्न में लेख लिखा जाता है।
- ऐसे संपादकीय में शैली प्रभाव उत्पन्न करने वाली होती है।
- अच्छे संपादकीय की भाषा सही, साफ और प्रखर होनी चाहिए।
- एक अच्छे संपादकीय लेखन को अच्छे से प्रकाशित किया हुआ होना चाहिए।
- संपादकीय में कई टिप्पणियाँ के आधार पर सब कुछ बताया जाता है।
संपादकीय नीति से क्या अभिप्राय है? (Sampadkiya Neeti Se Kya Abhipray Hai)
संपादकीय नीति एक समूह होती है, जो किसी भी मीडिया संस्थान का दिशा निर्देश तय करती है, अर्थात मीडिया संस्थान को अपने समाचार पत्र में कौन-कौन से प्रमुख विषयों के बारे में जानकारी देना है, वह सभी चीजें शामिल होती हैं। संपादकीय नीति तय करता है, कि किसी भी विषय के बारे में लोगों को निष्पक्ष जानकारी दी जाए, जिसके लिए विभिन्न तथ्यों को एकत्र किया जाता हैं।
उदाहरण के लिए, यदि किसी नेता की जीवनी के बारे में बताना है, तो उसमें नेता की सभी प्रमुख उपलब्धियां के बारे में जानकारी दी जाएगी तथा यदि उसके द्वारा कोई गलत कार्य भी किया गया है, तो उसे भी एक गाइड बुक की तरह बताया जाता है, जिसमें नेता की बिना बुराई किए उसकी गलतियों के बारे में जानकारी दी जाती है।
संपादकीय विभाग का अर्थ क्या है? (Sampadkiya Vibhag Ka Arth Kya Hai)
संपादकीय विभाग एक संस्था है, जो किसी भी किताब, अखबार अथवा पत्रिका के लिए सामग्री तैयार करता है और यदि उसे पहले से तैयार कोई सामग्री मिलती है, तो वह उस सामग्री को संशोधित करता है तथा उसे प्रकाशित करता है। संपादकीय विभाग का मुख्य कार्य किसी भी अखबार अथवा पत्रिका की गुणवत्ता को बढ़ाना होता है, अर्थात उसे पत्रिका को ऐसे प्रदर्शित करना होता है, जिससे लोगों को पढ़ने में भी कठिनाई ना हो तथा जिस विषय के बारे में पत्रिका में जानकारी दी गई है, उसे लोग बेहतर ढंग से समझ सके।
प्रकाशक और संपादक में क्या अंतर है? (Prakashak Aur Sampadak me Kya Antar Hai)
प्रकाशक वितरण और प्रबंधन से संबंधित कार्य करता है तथा किसी भी अखबार अथवा पत्रिका को प्रकाशित करता है, साथ ही प्रकाशक समाचार पत्र को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाता है।
संपादक का मुख्य कार्य लेखकों द्वारा लिखे गए लेख में सुधार करना होता है तथा पत्रिका की गुणवत्ता बढ़ाना होता है, साथ ही संपादक यह सुनिश्चित करता है, कि पत्रिका में लिखे गए सभी तथ्य सही हो।
संपादकीय किन किन विषयों पर लिखा जा सकता है (Sampadkiya Kis Vishay Par Likhte Hai)
एक संपादकीय कई विषयों पर लिखा जा सकता है और हर विषय में संपादकीय लेखन की शैली और भाव अलग होता है।
संपादकीय लेखन के विषय बहुत सारे होते हैं और हर विषय के संपादकीय की अपनी अलग विशेषता होती है। तो तो आईए जानते हैं संपादकीय किन-किन विषय पर लिखा जा सकता है?
- राजनीतिक संपादकीय
- सांस्कृतिक संपादकीय
- समस्या के ऊपर संपादकीय
- आलोचनात्मक संपादकीय
- खेल से जुड़े संपादकीय
- धार्मिक विषय से जुड़े संपादकीय
- संकेतात्मक संपादकीय
- समसामयिक विषयों के ऊपर संपादकीय
- साहित्यिक संपादकीय
- व्याख्यात्मक संपादकीय
आपको बता दें कि इन सब विषयों के अलावा भी अन्य कई तरह के विषयों पर संपादकीय लेखन किया जाता है।
FAQs – संपादकीय लेखन क्या है? – (Sampadkiya Lekhan Kya Hai)
संपादकीय लेखन क्या होता है, इसके बारे में आपको इस आर्टिकल में यहां तक सब पता चल गया होगा। नीचे दिए गए सवालों में संपादकीय से जुड़ा कुछ अन्य नॉलेज दिया गया है, इसे भी पढ़ें।
Q1. संपादकीय लिखने का दायित्व किसका होता है?
एक संपादक को ही संपादकीय लिखने का दायित्व दिया हुआ होता है। जब किसी अति रोचक मुद्दों पर लिखना होता है तो एक संपादक संपादकीय लेखन करता है।
Q2. संपादकीय की प्रमुख विशेषता क्या होती है?
एक संपादकीय की भाषा सही, समझ में आए जैसी और सशक्त होनी चाहिए तथा इसकी शैली सजीव होनी चाहिए। यही सब एक संपादकीय की मुख्य विशेषता होती है।
Q3. संपादक का क्या मतलब होता है?
जो भी व्यक्ति समाचार पत्र में किसी भी खबर या लेखन सामग्री में सही से जांच करके और उसे बहुत ज्यादा पढ़ने योग्य तथा श्रेष्ठ बनाता है, उस व्यक्ति को ही हम संपादक के नाम से जानते है।
Q4. एक अच्छे संपादकीय के क्या गुण होते हैं?
एक अच्छे संपादकीय में स्पष्ट भाषा, अच्छी और सजीव शैली, लेख का आकर्षित होना, कोई भी त्रुटि नहीं होना आदि अच्छे गुण होते हैं।
Q5. एक संपादक किस प्रकार का लेखन करते हैं?
संपादक एक प्रोफेशनल व्यक्ति होता है, जो किसी अन्य लेखक द्वारा लिखे गए लेख को जांचता है और उसमें आवश्यक बदलाव करके उसको एडिट या संशोधित करता है।
Q6. एक संपादक की क्या भूमिका होती है?
किसी भी न्यूज़ चैनल और अखबार में सबसे ज्यादा संपादक को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यही वह व्यक्ति होता है जो सारी लेखन सामग्री को अच्छे से चेक करके उसमें से त्रुटियों को हटाकर एक अच्छा लेख बनाता है।
Q7. संपादक को अंग्रेजी में क्या कहा जाता है?
संपादक को अंग्रेजी में एडिटर कहा जाता है, जो सारी लेखन सामग्री को ध्यान से पढ़ कर उसे एडिट करता है।
Q8. एक संपादक की क्या जिम्मेदारी होती है?
एक संपादक की कई जिम्मेदारियां होती है, उसे यह देखना होता है कि लेखन सामग्री में कोई दोष ना हो और उच्च गुणवत्ता तथा अच्छी शैली में लेखन सामग्री लिखी गई हो, जो पाठकों को भी रुचिकर लगे।
Q9. संपादकीय लेखन के उदाहरण क्या है?
एक संपादकीय को कई तरह की लेखन सामग्री में उपयोग में लिया जाता है। जैसे कि कोई लेख, कहानी, वीडियो, ब्लॉग, समाचार पत्र की कहानियां आदि में संपादकीय लेखन होता है।
Q10. संपादकीय लेखन का क्या महत्व है?
संपादक के लेखन से ही कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार लिखें जाते हैं, समाचार लिखे जाते है तथा घटनाओं पर लोगों की टिप्पणी लिखी जाती है। इन सब के अलावा संपादकीय लेखन का लेखन क्रिया में बहुत महत्व होता है।
निष्कर्ष | संपादकीय लेखन क्या है
संपादकीय लेखन क्या होता है (Sampadkiya Lekhan Kya Hai), इस विषय के बारे में सारी जानकारी आज इस महत्वपूर्ण लेख में हमने प्रदान की है।
संपादकीय लेखन का महत्व, संपादकीय लेखन का तरीका, संपादकीय लेखन की प्रक्रिया और महत्व, Sampadkiya Lekhan Ke , Sampadkiya Kise Kahte Hai आदि के बारे में आपने इस लेख में जाना है।
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